CBSE Class 9 Kritika Hindi Chapter Mati wali NCERT Solutions PDF Download | CBSE Class 9 माटी वाली के प्रश्न उत्तर/NCERT Solutions :- स्वागत है आपका 99KH.net पर आज हम आपको CBSE Class 9 Kritika Hindi Chapter Mati wali NCERT Solutions बताने वाले है। ये क्वेश्चन आपकी आने वाले पेपर्स में काफी मदद कर सकते है, इसलिए इन सभी क्वेश्चन को ध्यान से पढ़े। अगर आपको कोई समस्या आती है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे।
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi Kritika |
Chapter | Chapter 4 |
Chapter Name | माटी वाली |
Number of Questions Solved | 18 |
Category | NCERT Solutions |

Mati wali NCERT Solutions Class 9th ~ Question & Answer
1. ‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’को सब पहचानते थे?
उत्तर:- शहरवासी माटी वाली तथा उसके कनस्तर को इसलिए जानते होंगे क्योंकि पूरे टिहरी शहर में केवल वही अकेली माटी वाली थी।कनस्तर के द्वारा ही वह माटाखान से शहर तक मिट्टी पहुॅंचाती थी, उसका कोई प्रतियोगी नहीं था। माटीवाली की लाल मिट्टी हर घर की आवश्यकता थी, जिससे चूल्हे-चौके और घरों की दीवारों की पुताई की जाती थी। इसके बिना किसी का काम नहीं चलता था। इसलिए सभी उसे जानते थे तथा उसके ग्राहक थे। वह पिछले अनेक वर्षों से शहर की सेवा कर रही थी। इस कारण स्वाभाविक रूप से सभी लोग उसे जानते थे। वहाॅं आने वाले नए किरायेदार उससे परिचित हो जाते थे। साथ ही माटीवाली एक हँसमुख स्वभाव वाली मिलनसार महिला थी।
2. माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर:- माटीवाली अपनी आर्थिक और पारिवारिक उलझनों में उलझी, निम्न स्तर का जीवन जीने वाली अकेली महिला थी। अपना तथा बुड्ढे का पेट पालना ही उसके सामने सबसे बड़ी समस्या थी। उसके पास खेती के लिए न कोई ज़मीन थी और न रहने के लिए। वह ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी बनाकर रहती थी जिसके लिए उसे बेगार करना पड़ता था। माटीवाली का सुबह उठकर माटाखाना जाना और दिनभर उस मिट्टी को बेचना इसी में उसका सारा समय बीत जाता था। इस काम के बदले में मिले पैसे ही उसकी कमाई का एकमात्र साधन था, अपनी इसी दिनचर्या को वह नियति मानकर जीवन बिता रही थी। ऐसे में माटीवाली के पास अच्छे और बुरे भाग्य के बारे में सोचने का समय नहीं था।
3. ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:- भूख और भोजन का आपस में गहरा सम्बन्ध है। स्वाद भोजन में नहीं बल्कि मनुष्य को लगने वाली भूख में होता है। भूख लगने पर रूखा-सूखा भोजन भी स्वादिष्ट लगता है। भूख न होने पर स्वादिष्ट भोजन भी बे-स्वाद लगता है। इसलिए रोटी चाहे रूखी हो या साग के साथ या चाय के साथ; वह भूख के कारण मीठी प्रतीत होती है।
4. ‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गयी चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’ – मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:- हमारे पुरखों के समय इतने साधन और सुविधाएँ न थीं। उन्हें हर चीज़ पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। इन वस्तुओं का मूल्य हम धन से नहीं आँक सकते हैं। हम चाहे इन वस्तुओं में वृद्धि न कर पाएँ परन्तु इन वस्तुओं को कौड़ियों के दाम बेचने का हमें कोई अधिकार नहीं है। कुछ लोग स्वार्थवश इसे औने-पौने दामों में बेच देते हैं, जो कदापि उचित नहीं है। हमें इसके पीछे छिपी भावना और मेहनत को समझना चाहिए। यहाँ पर घर की मालकिन के विचार वाकई में प्रशंसा के काबिल हैं जो अभी तक अपने पुरखों की विरासत को संभाले हुए है तथा उनका मूल्य समझती है। पूर्वजों की मेहनत और गाढ़ी कमाई से बनाई इन वस्तुओं का महत्त्व जानकर ही मालकिन का मन इन्हें हराम के भाव में बेचने को नहीं करता है।
5. माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर:- माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी,चिन्ता,फटेहाली और आवश्यकता की मजबूरी को प्रकट करता है। माटीवाली दिनभर के अथक परिश्रम के बाद भी इतना नहीं कमा पाती थी कि उससे वह अपना तथा अपने बूढ़े बीमार पति का पेट भर सकें। लोगों द्वारा रोटी दिए जाने पर वह पूरा हिसाब लगा लेती है। ताकि वह दोनों के खाने का प्रबन्ध कर सके। फिर चाहे वह आधा पेट ही भोजन क्यों न हो।
6. ‘आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी।’ – इस कथन के आधार पर माटी वाली के ह्रदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- माटी वाली टिहरी शहर के घरों में माटी देकर अपनी रोटी-रोजी चलाती है। यही उसकी आजीविका का एकमात्र साधन है। ऐसे ही एक घर में माटी देने पर घर की मालकिन ने उसे दो रोटियाँ दीं। उसे एक अन्य घर से भी दो रोटियाँ मिलीं। इनमें से उसने एक खाकर बाकी को घर ले जाने के लिए बचा लिया ताकि वह अपने अशक्त एवं बीमार बुड्ढे को दे सके। आज माटी बेचने से हुई आमदनी से वह एक पाव प्याज खरीदकर कूट तल कर उसकी सब्जी बनाना चाहती है। ताकि बुड्ढे को सूखी रोटियाँ न खानी पड़े। इससे बुड्ढा खुश हो जाएगा। इस कल्पना से माटी वाली खुश है क्योंकि रोटियों के साथ सब्ज़ी देखकर बूढ़ा प्रसन्न हो जाएगा। उसकी प्रसन्नता का अनुमान कर वह बहुत खुश हो रही है।
7. गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए। इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए – इस कथन का आशय यह है कि गरीबों के रहने का आसरा नहीं छिनना चाहिए।एक दिन माटीवाली जब मजदूरी करके घर पहुँचती है तो उसके पति की मृत्यु हो चुकी होती है। अब उसके सामने विस्थापन से ज्यादा पति के अंतिम संस्कार की चिंता होती है, बाँध के कारण सारे श्मशान पानी में डूब चूके होते हैं।यहाॅं तक कि उसकी झोपड़ी पर से उसका अधिकार भी समाप्त हो चुका था, अब उसके लिए घर और श्मशान में कोई अंतर नहीं रह जाता है। इसी दुःख के आवेश में वह यह वाक्य कहती है।
8. ‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:- विकास एक आवश्यक प्रक्रिया है जो अपने साथ ढेर सारी खुशियाँ और रंगीन सपने लेकर आता है। विकास के क्रम में जो कार्य किए जाते हैं वे कुछ लोगों के हृदय पर ऐसे घाव दे जाते हैं जिनका दुख वे आजीवन भोगते हैं। विकास के नाम पर नदियों पर बड़े-बड़े और ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जाते हैं जिससे शहर, गाँव, जंगल, उपजाऊ जमीन आदि जलमग्न हो जाती हैं। बाँध बनाने से पहले वहाँ रहने वालों को अन्यत्र विस्थापित किया जाता है जिससे उनके सामने रोटी-रोजी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे लोगों के बच्चों का भविष्य भी प्रभावित होता है। यद्यपि सरकार इन लोगों के विस्थापन की व्यवस्था करती है परंतु माटी वाली की तरह बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास जमीन-जायदाद का प्रमाणपत्र नहीं। होता है। इन लोगों को तब विशेष परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनकी स्थिति ‘न घर की न घाट की’ वाली हो जाती है। वास्तव में विस्थापन अपने साथ कई समस्याएँ लेकर आता है जिनको समाधान विस्थापन से पहले ही कर लिया जाना चाहिए।