CBSE Class 9 Sparsh Hindi Chapter 12 Ek Phool Ki Chaha Haath NCERT Solutions PDF Download | CBSE Class 9 एक फूल की चाह के प्रश्न उत्तर/NCERT Solutions :- स्वागत है आपका 99KH.net पर आज हम आपको CBSE Class 9 Sparsh Hindi Chapter 12 Ek Phool Ki Chaha NCERT Solutions बताने वाले है। ये क्वेश्चन आपकी आने वाले पेपर्स में काफी मदद कर सकते है, इसलिए इन सभी क्वेश्चन को ध्यान से पढ़े। अगर आपको कोई समस्या आती है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे।

Ek Phool Ki Chaha Haath NCERT Solutions Class 9th ~ Question & Answer
1. प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
उत्तर: रहीम जी के अनुसार प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भांति इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि प्रेम भरोसे और विश्वास पर आधारित होता है। जिस प्रकार जब कोई धागा टूट जाता है तो उसे जोड़ने के लिए उसमें गाँठ लगानी ही पड़ती है। उसी प्रकार जब प्रेम रूपी धागा टूटता है तो उसे जोड़ा भी जाए तो उसमें गाँठ अवश्य रहेगी इसी कहा भी जाता है कि प्रेम रूपी बंधन को हमें बेहद संभाल कर रखना चाहिए क्योंकि यह सबसे नाजुक रिश्ता होता है।
2. हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
उत्तर: हमें अपना दुख दूसरों पर प्रकट इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि दूसरे केवल हमारे दुख का मजाक उड़ाते हैं। हमारे सामने तो अपने होने का नाटक करते हैं, यह जताते हैं कि वे भी हमारे दुख से दुखी है परंतु पीठ पीछे वह उस दुख को किसी अन्य के सामने बढ़ा-चढ़ाकर, नमक-मिर्च लगाकर, मज़े लेकर बताते हैं। साथ ही हमारे उस दुख को कम करने में उनकी भूमिका शून्य ही रहती है।अपनी मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार हमारे प्रति हास्यास्पद हो जाता है। वे हमें बेचारा समझने लगते हैं। साथ ही कभी-कभी वे हमें नज़रअंदाज़ भी करने लगते हैं।
3. रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर: रहीम जी ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि पंक जल में पानी बहुत ही कम होता है पर फिर भी उससे कितने ही लघु जीव अपनी प्यास बुझा लेते हैं जबकि सागर में असीमित पानी है फिर भी उसे कोई पी नहीं सकता। रहीम जी के अनुसार वही चीज़ धन्य है जो किसी के काम आए। रहीम जी के लिए परोपकार की भावना ही सर्वोपरि है।
4. एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
उत्तर: रहीम जी के अनुसार किसी एक चीज पर ही ध्यान केंद्रित करने से सभी चीजें अपने आप अच्छी हो जाती हैं जिस प्रकार किसी पेड़ की जड़ में पानी देने से संपूर्ण पेड़ हरा भरा हो जाता है। उसी प्रकार यदि मनुष्य भी एक ईश्वर का ध्यान करें तो उसके जीवन का उद्धार ही होता है।
5. जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
उत्तर: जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि कमल पानी में रहता है, पानी ही उसकी निजी संपत्ति है और यदि पानी ही ना रहे तो सूर्य कितना भी प्रयास क्यों ना करें वह कमल की रक्षा नहीं कर पाएगा। ठीक उसी प्रकार संकट की स्थिति में मनुष्य की निजी धन-दौलत ही उसकी सहायता करती है।
6. अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
उत्तर: अवध नरेश को चित्रकूट इसलिए जाना पड़ा क्योंकि उन्हें चौदह वर्षों तक वनवास में रहना था। अवध नरेश को यह स्थान ‘चित्रकूट‘ वनवास बिताने के लिए सबसे अधिक सही लगा इसलिए वे वहाँ जाकर रहने लगे।
7. ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
उत्तर: ‘नट’ कुंडली मारने की कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है |
8. मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कवि ने ‘मोती, मानुष, चून‘ के संदर्भ में पानी शब्द का प्रयोग किया है। सबसे खास बात यह है कि तीनों ही शब्दों के संदर्भ में पानी का अर्थ बिल्कुल अलग है। मोती के संदर्भ में पानी का अर्थ मोती की चमक से है। यदि मोती की चमक खो जाती है तो उसका मूल्य शून्य हो जाता है। मानुष के संदर्भ में पानी का अर्थ उसकी इज्जत व उसके सम्मान से है। यदि मनुष्य का सम्मान व इज़्ज़त चली जाए तो उसका समाज में जीना ही मुश्किल हो जाता है और चून तो पानी के बिना कुछ भी नहीं है। जब चून में पानी को मिलाया जाता है तभी वह खाने योग्य बन पाता है।
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:
9. टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को हमें कभी भी तोड़ना नहीं चाहिए। इसे हमेशा संभाल कर रखना चाहिए क्योंकि प्रेम रूपी यह धागा यदि टूट जाए तो फिर यह कभी नहीं जुड़ता और यदि यह कभी जुड़ता भी है तो उसमें हमेशा के लिए एक गाँठ पड़ जाती है। साधारण भाषा में प्रेम का यह रिश्ता कभी भी पहले जैसा नहीं हो पाता है।
10. सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि हमें अपने मन की व्यथा/दुख/ वेदना को स्वयं तक ही सीमित रखना चाहिए। उसे कभी भी किसी अन्य को नहीं बताना चाहिए क्योंकि अन्य सभी उस व्यथा/दुख/वेदना का मज़ाक ही बनाते हैं। कोई भी उस दुख वेदना को बाँट नहीं पाता है।
11. रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि यदि हम एक समय में एक ही कार्य को करेंगे तो धीरे-धीरे सभी कार्य बिल्कुल सही हो जाएँगे जिस प्रकार जल केवल जड़ में देने से ही सम्पूर्ण पेड़ हरा-भरा रहता है पर यदि हम एक साथ सभी कार्य करने की सोचेंगे तो हमें किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होगी। साथ ही हम हँसी के पात्र भी बन जाएँगे।
12. दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि दोहा छंद ऐसा होता है जिसमें अक्षर बहुत कम होते हैं किंतु उनमें बहुत गहरा और बड़ा अर्थ छिपा होता है जिस प्रकार कोई कुशल बाज़ीगर, अपने शरीर को सिकोड़कर, तंग मुँह वाली कुंडली के बीच में से कुशलतापूर्वक निकल जाता है, उसी प्रकार कुशल दोहाकार दोहे के सीमित शब्दों में बहुत बड़ी और गहरी बातें कह देते हैं ।
13. नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि संगीत की आवाज़ पर मोहित होकर हिरन शिकार हो जाता है। उसी तरह मनुष्य भी प्रेम आकर्षण में अपना तन, मन और धन न्यौछावर कर देता है लेकिन वह लोग पशु से भी बदतर होते हैं जो किसी से खुशी तो पाते हैं पर बदले में उसे देते कुछ नहीं है।
14. जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि सभी चीज़ों का अपना-अपना महत्व होता है। हमें कभी भी बड़े पद को देखकर छोटे का तिरस्कार नहीं करना चाहिए क्योंकि जो कार्य एक सुई कर सकती है, वह कार्य तलवार कभी भी नहीं कर सकती।
15. पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।
उत्तर: रहीम जी कहते हैं कि जिस प्रकार चमक के बिना मोती की कोई कीमत नहीं है,मनुष्य भी अपनी इज्जत व आत्मसम्मान के बिना अधूरा है और आटे का महत्व भिबिन पानी शून्य है। उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने जीवन में मानव मूल्यों को जीवित रखना चाहिए। बिना मानव मूल्यों के उसका अस्तित्व भी शून्य ही है।
निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है:
16. जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
उत्तर: जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।
17. कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
उत्तर: बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
18. पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।
उत्तर: रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए:
उदाहरणः कोय – कोई, जे – जो
उत्तर: ज्यों – जैसे
- कछु – कुछ
- नहिं – नहीं
- कोय – कोई
- धनि – धन्य
- आखर – अक्षर
- जिय – जीव
- थोरे – थोड़ा, कम
- होय – होता
- माखन – मक्खन
- तरवारि – तलवार
- सींचिबो – सिंचाई करना, पौधों में पानी देना
- मूलहिं – मूल
- पिअत – पीते ही
- पिआसो – प्यासा
- बिगरी – बिगड़ी हुई
- आवे – आए
- सहाय – सहायक
- ऊबरै – उबरे
- बिनु – बिना
- बिथा – दुःख, वेदना
- अठिलैहैं – मज़ाक उड़ाना
- परिजाय – पड़ना