CBSE Class 9 Sparsh Hindi Chapter 15 Naye Ilake Me, Khushbu Rachte Hai Haath NCERT Solutions PDF Download | CBSE Class 9 नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ के प्रश्न उत्तर/NCERT Solutions :- स्वागत है आपका 99KH.net पर आज हम आपको CBSE Class 9 Sparsh Hindi Chapter 15 Naye Ilake Me, Khushbu Rachte Hai Haath NCERT Solutions बताने वाले है। ये क्वेश्चन आपकी आने वाले पेपर्स में काफी मदद कर सकते है, इसलिए इन सभी क्वेश्चन को ध्यान से पढ़े। अगर आपको कोई समस्या आती है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछे।

Naye Ilake Me Khushbu Rachte Hai Haath NCERT Solutions Class 9th ~ Question & Answer
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है? [CBSE]
(ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?
(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है? [CBSE]
(घ) “वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?
(ङ) कवि ने इस कविता में समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है? [CBSE]
(च) इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
(क) नए इलाके में कवि इसलिए रास्ता भूल जाता है, क्योंकि-
- यहाँ रोज़ नए मकान बनते रहते हैं।
- पुराने मकान ढहाकर नए मकान बनाए जाते हैं।
- नए मकान बनाने के लिए पुराने पेड़ काटने से निशानी नष्ट हो जाती है।
- खाली जमीन पर कोई नया मकान बन जाता है।
(ख) कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख हुआ है-
- पीपल का पेड़
- ढहा घर या खंडहर
- जमीन का खाली टुकड़ा
- बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान
(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है, क्योंकि नित्य नए परिवर्तन कवि की बनाई पहचान तथा पिछली बार के निशानों को मिटा देते हैं। इसलिए कवि अपने एक मंजिल रूपी घर तक नहीं पहुँच पाता।
(घ) “वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ का अभिप्राय है-एकाएक परिवर्तन हो जाना। आने और जाने के समय में ही परिवर्तन हो जाना। ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ का अभिप्राय है-कुछ ही समय में एकाएक परिवर्तन हो जाना। जाने के समय और लौटने के समय में ही अद्भुत परिवर्तन हो जाना।
(ङ) कवि ने कविता में समय की कमी की ओर इसलिए संकेत किया है क्योंकि तेज़ी से आ रहे बदलाव के कारण मनुष्य की व्यस्तता भी बढ़ती जा रही है। इससे उसके पास समय की कमी होती जा रही है।
(च) इस कविता में कवि ने शहरों की उस विडंबना की ओर संकेत किया है, जिसमें शहरों में हो रहे बदलाव, खाली जमीनों में टूटे मकानों की जगह इतने नित नए मकान बनते जा रहे हैं कि सुबह घर से निकले आदमी को शाम के समय अपना मकान खोजना पड़ता है, फिर भी उसे अपना मकान नहीं मिल पाता है।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1. पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।
उत्तर: हिंदी महीनों के नाम-
- चैत्र,
- बैसाख,
- ज्येष्ठ,
- आषाढ़,
- श्रावण,
- भाद्रपक्ष,
- आश्विन,
- कार्तिक,
- मार्गशीर्ष,
- पौष,
- माघ,
- फाल्गुन
(2) खुशबू रचते हैं हाथ
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) “खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?
(ख) कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?
(ग) कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’?
(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?
(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: (क) खुशबू रचनेवाले हाथ अत्यंत कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में, गलियों में, कूड़े के ढेर के इर्द-गिर्द तथा नाले के किनारे रहते हैं। वे अस्वच्छ एवं प्रदूषित वातावरण में जीवन बिताते हैं। वे इस दुर्गंधमय वातावरण में रहने को विवश हैं। वे सामाजिक और आर्थिक विषमता के शिकार हैं। दूसरों को खुशबू देने का काम करने । वाले इस प्रकार बदहाली का जीवन बिताते हैं।
(ख) कविता में निम्नलिखित तरह के हाथों की चर्चा हुई है-
- उभरी नसोंवाले अर्थात् वृद्ध हाथ।
- घिसे नाखूनोंवाले हाथ श्रमिक वर्ग को प्रतीक है।
- पीपल के पत्ते जैसे नए-नए हाथ अर्थात् छोटे बच्चों के कोमल हाथ।
- जूही की डाल जैसे खुशबूदार हाथ अर्थात् नवयुवतियों के सुंदर हाथ।
- गंदे कटे-पिटे हाथ।
- जखम से फटे हुए हाथ।
(ग) कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि इन गरीब मजदूरों के हाथ सुगंधित अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं। तथा हमारे जीवन को सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराकर खुशबू से महकाते हैं जिससे ऐसा लगता है कि अत्यंत प्रदूषित वातावरण में रहकर भी इनके हाथ हमारे लिए सुख-सुविधाओं से भरी वस्तुओं का निर्माण करते हैं। जिससे समस्त प्राणियों के जीवन में सुगंध फैल जाती है। ये लोग स्वयं बदहाली का जीवन बिताकर दूसरे लोगों के जीवन में खुशहाली लाते हैं। इन शब्दों द्वारा कवि ने श्रमिकों के श्रम का गुणगान किया है।
(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं वहाँ का वातावरण अत्यंत गंदगी भरा होता है। चारों ओर नालियाँ तथा कूड़े-करकट का ढेर जमा होता है। चारों ओर बदबू फैली होती है। ये सुगंधित अगरबत्तियाँ बनाने वाले ऐसे गंदे वातावरण में रहकर भी दूसरों के जीवन में खुशबू बिखेरते हैं पर ऐसे वातावरण में, ऐसी भयावह स्थितियों में रहनी इनकी विवशता है।
(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य यह है कि हमारे समाज में सुंदरता की रचना करनेवाले गरीब और उपेक्षित लोगों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करना है ताकि आम लोग इन गरीब मजदूरों के जीवन की वास्तविकता को जान लें और समाज में फैली विषमताओं तथा भेदभावों को मिटाने की कोशिश करें। मजदूरों और कारीगरों की दुर्दशा का चित्रण करना तथा लोगों में उनके उद्धार की चेतना जगाना भी है। कवि अगरबत्तियाँ बनानेवाले कारीगरों का प्रदूषित वातावरण में रहना दिखाकर यह कहना चाहता है कि इनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए ताकि इन्हें भी जीवन जीने के लिए। स्वच्छ वातावरण मिल सके।
प्रश्न 2. व्याख्या कीजिए-
(क)
(i) पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ
उत्तर: अगरबत्ती बनाने वाले हाथों में कुछ के हाथ पीपल के नए-नए पत्तों के समान कोमल हैं। आशय यह है कि कुछ नन्हे-नन्हे बच्चे भी अगरबत्ती बनाने के काम में लगे हुए हैं। कुछ हाथ ऐसे हैं जिनमें से जूही की डालों जैसी खुशबू आती है। आशय यह है कि कुछ सुंदर युवतियाँ भी अगरबत्तियाँ बनाने में लगी हुई हैं।
(ii) दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथे
उत्तर: यद्यपि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगर दुनिया भर को सुगंधित अगरबत्ती प्रदान करते हैं और वातावरण में सुगंध फैलाते हैं किंतु उन्हें स्वयं दुनिया भर की गंदगी के बीच रहना पड़ता है। उनके चारों ओर गंदगी का ही साम्राज्य रहता है। वे शोषित हैं, पीड़ित हैं।
(ख) कवि ने इस कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है?
उत्तर: कविता में ‘हाथ’ के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसके माध्यम से कवि बताना चाहता है कि यहाँ एक कारीगर या एक मजदूर की बात नहीं की जा रही। यह समस्या सब मज़दूरों की है।
(ग) कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?
उत्तर: कवि ने हाथों के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है-
- उभरी नसोंवाले
- घिसे नाखूनोंवाले
- पीपल के पत्ते-से नए-नए
- जूही की डाल-से खुशबूदार
- गंदे कटे-पिटे
- ज़ख्म से फटे हुए।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1. अगरबत्ती बनाना, माचिस बनाना, मोमबत्ती बनाना, लिफ़ाफ़े बनाना, पापड़ बनाना, मसाले कूटना आदि लघु उद्योगों के विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर: ये सभी लघु उद्योग हैं जिनमे छोटे स्तर पर विभिन्न उत्पादों को तैयार किया जाता है। जैसे- अगरबत्ती, माचिस, मोमबत्ती, लिफाफा, पापड़ आदि। वर्तमान में भी भारत के लघु उद्योगों में उत्पादन के लिए मजदूरों का सहारा ही लिया जाता है लेकिन ये राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा तैयार उत्पाद नागरिकों की रोज मर्रा की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इन उद्योगों से बड़े स्तर पर अकुशल लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो जाता है।
NCERT Solutions Class 9th ~ Other Chapters
No. | Chapter Name |
1. | माटी वाली |
2. | रीढ़ की हड्डी |
3. | मेरे संग की औरतें |
4. | बच्चे काम पर जा रहे हैं |
5. | प्रेमचंद के फटे जूते |
6. | कैदी और कोकिला |
7. | साँवले सपनों की याद |
8. | दिए जल उठे |
9. | हामिद खां |
10. | स्मृति |
11. | गिल्लू |